Date : 2019-10-25     ||      Author : Priyanka Pandey
AAJ KAL SIKSHA ME BADLAV
आज कल शिक्षा में बदलाव
किसी देश का विकास उस देश की शिक्षा प्रणाली पर निर्भर होता है, क्योंकि देश की उन्नति के लिए हर व्यक्ति जिम्मेदार है और वो ही देश को अपने ज्ञान, संस्कार और अच्छे आचरण के ज़रिया देश को बुलंदियों पर पंहुचा सकता है! आज का शिक्षित वर्ग ही देश की अर्थव्यवस्था को सुचारु रूप से चला सकता है किन्तु अगर शिक्षा प्रणाली ही ठीक न हुई तो उस देश का भविष्य अंधकारमय हो सकता है।
आज की शिक्षा हमें केवल एक किताबी ज्ञान देती है वह भी कई सदी पुराना । जो कि आज यथार्थवादी परिस्थितियों में अधूरी शिक्षा है । आज ऐसी शिक्षा की जरूरत है जिससे बच्चें का संपूर्ण विकास हो । वर्तमान में पढ़ाई को रोज़गार से जोड़ना बहुत ही आवश्यक हो गया है, ताकि बच्चें आर्थिक रूप से मजबूत होकर, अपने परिवार, संपूर्ण मानवीय समाज व देश की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें ।
आज की शिक्षा व्यवस्था केवल मोटी कमाई का एक साधन मात्र रह गई हैं । जबकि शिक्षा केवल लाभ कमाने के उदेश्यय से नहीं होना चाहिए । आज अच्छी शिक्षा केवल सीमित वर्ग के लिये रह गई है । जबकि शिक्षा की पहुंच हर व्यक्ति तक होना चाहिए । जो कि वर्तमान हालातों को देखते हुए ना तो आज और ना आने वाले कल में ऐसा संभव प्रतीत होता है ।
आजकल हर जगह शिक्षा प्रसार की नई-नई योजनाएं बन रही हैं। हमारी राष्ट्रीय सरकार इस बात की घोषणा कर चुकी है कि वह शीघ्र ही देश से निरक्षरता को मिटा देगी। परन्तु विचार यह करना है कि हमारी वर्तमान शिक्षा प्रणाली कैसी है और वह किस प्रकार के जीवन का निर्माण कर रही है तथा हमारी शिक्षा वास्तव में कैसी होनी चाहिए।
शिक्षा में योजनाएं
आजकल हमारी शिक्षा की व्यवस्था वास्तव में बहुत दोष युक्त हो गई है। इसको मिटा कर हमें ऐसी शिक्षा-दीक्षा का विधान करना होगा जो हमें स्वयं अपने ऊपर विजय प्राप्त कर सकने में समर्थ बना सके। ज्ञान का अंतिम लक्ष्य चरित्र निर्माण ही होना चाहिये। जब तक शिक्षा के कुछ उद्देश्य निर्धारित नहीं होंगे तब तक शिक्षा प्रणाली में कोई सुधार नहीं हो सकता है।
शिक्षा के उद्देश्य
जनतांत्रिक नागरिकता का विकास- इस देश के जन तंत्र को सफल बनाने के लिए प्रत्येक बालक को सच्चा, ईमानदार तथा क्रमश नागरिक बनाना परम आवश्यक है | अत: शिक्षा का परम उद्देश्य बालक को जनतांत्रिक नागरिकता की शिक्षा देना है | इसके लिए बालकों को स्वतंत्र तथा स्पष्ट रूप से चिन्तन करने एवं निर्णय लेने को योग्यता का विकास परम आवश्यक है, जिससे वे नागरिक के रूप में देश की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक सभी प्रकार की समस्याओं पर स्वतंत्रता पूर्वक चिन्तन करके अपना निजी निर्माण लेते हुए स्पष्ट विचार व्यक्त कर सकें ।
इन्हीं उद्देश्यों को ध्यान में रखकर ही शिक्षा प्रणाली में सुधार किया जा सकता है और छात्रों के भविष्य को संवारा जा सकता है।मुस्कान एमजीओ के द्वारा बताया कि यदि शिक्षक का कर्तव्य है- छात्रों का सर्वांगीण विकास करना हैं तो शिक्षा प्रणाली का कर्तव्य होता है कि वह भी छात्रों के सर्वांगीण विकास में अपनी ज़िम्मेदारी को पूरा करें ।